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Friday, May 29, 2009

उस बच्ची को बचपन से उसके परिजनों ने कुत्ते-बिल्लियों के साथ बंद रखा

रूस में बाल उत्पीड़न की एक लोमहर्षक अमानवीय घटना सामने आई है। पुलिस ने पाँच वर्षीय एक ऐसी लड़की को मुक्त कराया जिसे बचपन से उसके परिजनों ने कुत्ते-बिल्लियों के साथ बंद रखा था। इंसानियत को शर्मसार करने वाली है यह घटना 27 मई को सामने आयी। इस "मोगली गर्ल" का नाम नताशा है। जानवरों के साथ रहते-रहते उसका व्यवहार भी जानवर सरीखा हो गया है।

पूर्वी साइबेरियाई शहर चीता में पुलिस ने एक मुखबिर की सूचना पर उस घर में छापा मारकर 27 मई को लड़की को मुक्त कराया। रूसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कई वर्षों से कुपोषण एवं इंसानों से संपर्क नहीं होने के कारण वह लड़की बोलना नहीं सीख पाई और जानवरों जैसी आवाजें निकालती है। केवल इतना ही नहीं वह चलती भी है तो अपने दोनों हाथ-पैरों का उपयोग करती है। आश्चर्य की बात यह है कि यदि माता-पिता ने उसके साथ यह व्यवहार किया तो उसी घर में रहते हुए उसके दादा-दादी ने कभी इस बात का विरोध क्यों नहीं किया? फिलहाल इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि उसके माता-पिता आखिर उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते थे?

पुलिस ने बताया कि यह लड़की मैले-कुचैले कपड़े पहने थी जिनसे बदबू आ रही थी तथा उसकी आदतें भी घरेलू पालतू जानवरों जैसी हो गई थी। जब पुलिस उसके पास पहुँची तो वह कुत्तों की तरह उन पर झपटी थी। पुलिस ने परिवार के सभी सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। दोषी पाए जाने पर उन्हें तीन वर्ष के कारावास की सजा हो सकती है। डॉक्टरों ने एक पुनर्वास केंद्र पर उसका इलाज शुरू कर दिया है। चिकित्सा कर्मियों ने बताया कि जब नर्सें इस मोगली गर्ल के कमरे से बाहर जाती हैं तो वह पैरों और हाथों के बल चलकर दरवाजे तक आती है और जोर-जोर से भौंकती है फिर लौट जाती है...!