अगर आप सोच रहे हैं कि भारत में महंगाई ने कमर तोड़ दी है और मंदी न जाने कब खतम होगी तो अमेरिका का हाल देख लीजिये। जहाँ मंदी की मार ऐसी है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं डांसिंग , स्ट्रिपिंग , पॉर्न फिल्मों में काम और हसलर जैसी मैग्जीन में टॉपलेस फोटो देने जैसे कामों की ओर जा रही हैं। पोर्न मंनोरंजन उद्योग के लोगों का कहना है कि इस वक्त उनके पास महिलाओं के आवेदनों का ढेर लगा हुआ है।
डॉलर कमाना बड़ी बात है। रेबेका ब्राउन को इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी। एक नैशनल रेस्ट्रॉन्ट में बारटेंडर और ट्रेनर के तौर पर काम करके वह जिस हफ्ते इतनी कमाई कर लेती थीं , उसे बहुत अच्छा हफ्ता कहती थीं। अब वह इतना सिर्फ एक रात में कमा लेती हैं। शिकागो के ' पिंक मंकी जेंटलमन्स क्लब ' में डांस करके एक रात में आराम से इतना पैसा कमा लेती है। रेबेका जैसी हजारों महिलाएं जल्दी पैसा कमाना चाहती हैं और उन्हें यह रास्ता नजर आ रहा है। इनमें से बहुतों के पास कॉलेज की डिग्रियां हैं और मंदी से पहले ये अच्छी नौकरियां कर रही थीं।
न्यू यॉर्क के ' सिनसिटी जेंटलमन्स क्लब ' के जनरल मैनेजर गस पौलोस कहते हैं कि आजकल बहुत सी खूबसूरत महिलाएं हैं जो और भी कई काम करने के लिए तैयार हैं। उन्हें हाल ही में एक जॉब के लिए एक ही दिन में 85 प्रत्युत्तर मिले। बताते हैं कि अलग - अलग क्लबों में 20 से 30 महिलाएं रोजाना आवेदन भेज रही हैं।
इनमें से कुछ महिलाओं के लिए डांसिंग अपने कॉलेज के लोन या बाकी छोटेमोटे खर्च पूरे करने का एक जरिया है। लेकिन काफी महिलाओं को लगता है कि उन्हें सही जगह मिल गई है , जिसकी उन्हें तलाश थी। न्यू यॉर्क और मियामी में ' रिक्स कैबरे क्लब ' की डांसर्स एक से तीन लाख डॉलर सालाना कमा रही हैं।
As a bartender and trainer at a national restaurant chain, Rebecca Brown earned a couple thousand dollars in a really good week. Now, as a dancer at Chicago's Pink Monkey gentleman's club, she makes almost that much in one good night.
The tough job market is prompting a growing number of women across the country to dance in strip clubs, appear in adult movies or pose for magazines like Hustler.
Employers across the adult entertainment industry say they're seeing an influx of applications from women who, like Brown, are attracted by the promise of flexible schedules and fast cash. Many have college degrees and held white-collar jobs until the economy soured.
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